क्या भारत के आगे झुक गया चीन या ये उसकी कोई नई चाल ?
शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization – SCO) एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, और सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है। SCO एक बहुपक्षीय संगठन है जो मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और यूरेशिया के देशों को जोड़ता है। यह संगठन क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साथ-साथ आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के लिए भी काम करता है।
भारत और चीन ने LAC पर टकराव रोकने या कम करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल की है. दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर समझौता हो गया है. विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इसकी जानकारी दी. विक्रम मिस्री ने बताया, “पिछले कुछ हफ्तों में भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य स्तर पर कई वार्ताएं हुई हैं. इन वार्ताओं के परिणामस्वरूप दोनों देश के बीच LAC पर पेट्रोलिंग को लेकर समझौता हुआ है. साथ ही दोनों देशों ने 2020 में पैदा हुए सीमा तनाव को जल्द सुलझाने के लिए संकल्प भी पारित किया गया है.
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SCO का इतिहास
शंघाई सहयोग संगठन की उत्पत्ति 1996 में हुई थी, जब इसे शंघाई फाइव (शंघाई पांच) के नाम से जाना जाता था। इसमें पांच देश शामिल थे: चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस और तजाकिस्तान। इसका मुख्य उद्देश्य सीमा विवादों को सुलझाना और सीमावर्ती क्षेत्रों में आपसी विश्वास को बढ़ावा देना था। 2001 में, उज़्बेकिस्तान को शामिल कर संगठन का विस्तार हुआ और इसे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का नाम दिया गया।
SCO ने धीरे-धीरे अपने एजेंडे का विस्तार किया और यह सुरक्षा मुद्दों के साथ-साथ आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्षेत्रों में भी सक्रिय हो गया। यह संगठन अब यूरेशिया क्षेत्र में सुरक्षा, व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभर चुका है।
SCO के सदस्य और संरचना
SCO में आठ स्थायी सदस्य देश शामिल हैं:
- चीन
- रूस
- भारत (2017 में सदस्य बना)
- पाकिस्तान (2017 में सदस्य बना)
- कजाकिस्तान
- किर्गिस्तान
- तजाकिस्तान
- उज़्बेकिस्तान
इसके अलावा, SCO में चार पर्यवेक्षक देश (Observer States) और छह वार्ताकार साझेदार देश (Dialogue Partners) भी हैं, जिनमें ईरान, अफगानिस्तान, बेलारूस, और मंगोलिया प्रमुख हैं। SCO का सचिवालय बीजिंग, चीन में स्थित है और इसका एक क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी ढांचा ताशकंद, उज़्बेकिस्तान में स्थित है।
SCO के प्रमुख उद्देश्य
SCO के कुछ मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- सुरक्षा और स्थिरता: SCO का प्रमुख उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना है। यह आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देता है।
- आर्थिक सहयोग: SCO आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी काम करता है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देना और सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश को सुगम बनाना है।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: संगठन के तहत सदस्य देश सांस्कृतिक, शैक्षिक, और वैज्ञानिक सहयोग भी बढ़ाते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय कूटनीति: यह संगठन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सहयोगी देशों की सामूहिक स्थिति को मजबूत करने का काम करता है। यह बहुपक्षीय कूटनीति के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान ढूंढने का प्रयास करता है।
भारत-चीन संबंध और SCO
भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध जटिल रहे हैं। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन और भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण कई बार तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई है। हालांकि, SCO एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहाँ दोनों देश साझा हितों पर विचार कर सकते हैं और अपने संबंधों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। SCO के अंतर्गत, भारत और चीन के बीच सहयोग के कुछ प्रमुख क्षेत्रों का वर्णन निम्नलिखित है:
1. सुरक्षा सहयोग:
SCO के माध्यम से, भारत और चीन दोनों आतंकवाद, उग्रवाद, और अलगाववाद से निपटने के लिए सहयोग कर रहे हैं। इस मंच के तहत सामूहिक सुरक्षा समझौतों और सामूहिक सैन्य अभ्यासों ने दोनों देशों को एक साथ काम करने का अवसर दिया है। इसके अलावा, सीमा पार आतंकवाद के खतरे को कम करने के लिए सूचना साझा करने और खुफिया तंत्र को मजबूत करने में भी सहयोग किया जा रहा है।
2. आर्थिक और व्यापारिक सहयोग:
SCO के माध्यम से आर्थिक सहयोग बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। हालांकि भारत और चीन के बीच व्यापारिक असंतुलन एक चिंता का विषय रहा है, लेकिन SCO के माध्यम से भारत और चीन ने क्षेत्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए हैं। इस मंच ने दोनों देशों को व्यापार और निवेश से संबंधित मुद्दों पर बातचीत के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान किया है, जिससे आर्थिक संबंधों में सुधार हो सकता है।
3. सांस्कृतिक सहयोग:
SCO के तहत भारत और चीन के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान भी हो रहे हैं। भारत और चीन की सभ्यताएँ ऐतिहासिक रूप से एक-दूसरे से गहराई से जुड़ी हुई हैं। इस मंच के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शैक्षिक सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयास किए गए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच आपसी समझ बढ़ाने में मदद मिलती है।
4. पर्यावरण और ऊर्जा सहयोग:
SCO ने पर्यावरणीय मुद्दों और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में भी भारत और चीन के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया है। दोनों देश इस मंच पर जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा दक्षता, और सतत विकास जैसे विषयों पर चर्चा और सहयोग कर सकते हैं।
5. बहुपक्षीय सहयोग:
SCO एक ऐसा मंच है जहाँ भारत और चीन दोनों एक साथ अन्य सदस्य देशों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इस बहुपक्षीय सहयोग से द्विपक्षीय मुद्दों को हल करने के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक समस्याओं पर भी एक सामूहिक दृष्टिकोण विकसित किया जा सकता है। SCO की बैठकें दोनों देशों को नियमित रूप से एक मंच पर लाती हैं, जिससे आपसी वार्ता और संवाद के अवसर बढ़ते हैं।
भारत-चीन रिश्तों पर SCO का सकारात्मक प्रभाव
SCO के तहत, भारत और चीन के बीच कई महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं, जो उनके रिश्तों को सुधारने और मजबूती देने में सहायक रहे हैं:
- संवाद और कूटनीति: SCO ने भारत और चीन के बीच संवाद और कूटनीतिक बातचीत के नए अवसर प्रदान किए हैं। दोनों देशों के नेताओं को नियमित रूप से SCO शिखर सम्मेलनों में मिलने और बातचीत करने का मौका मिलता है, जो द्विपक्षीय मुद्दों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में सहायक होता है। इससे पारस्परिक विश्वास को बढ़ावा मिला है और तनाव को कम करने में मदद मिली है।
- सामूहिक सुरक्षा दृष्टिकोण: भारत और चीन दोनों आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण को अपना रहे हैं। SCO के तहत आतंकवाद के खिलाफ किए गए सामूहिक प्रयासों ने सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत किया है, जिससे दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधों में सुधार हुआ है।
- आर्थिक संबंधों में सुधार: यद्यपि व्यापारिक असंतुलन अभी भी एक चुनौती है, SCO के माध्यम से दोनों देश व्यापार और निवेश में सुधार की दिशा में काम कर रहे हैं। SCO के तहत व्यापार और कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बढ़ावा देने से भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों में सुधार हो सकता है।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: SCO के माध्यम से सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान ने भारत और चीन के बीच लोगों के स्तर पर संपर्क को बढ़ावा दिया है। यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक समझ और आपसी सम्मान को बढ़ाने में सहायक है।
- सीमा विवादों पर वार्ता: SCO के माध्यम से उत्पन्न संवाद के अवसरों ने भारत और चीन को सीमा विवादों पर शांति से वार्ता करने का मौका दिया है। यद्यपि सीमा विवाद पूरी तरह से हल नहीं हुए हैं, लेकिन SCO ने इसे शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के प्रयासों को बढ़ावा दिया है।
निष्कर्ष
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक महत्वपूर्ण मंच है जो भारत और चीन के बीच संवाद, सुरक्षा सहयोग, और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने में सहायक रहा है। यह संगठन दोनों देशों के बीच पारस्परिक विश्वास को बढ़ाने और तनाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। SCO के माध्यम से भारत और चीन ने सुरक्षा, व्यापार, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहयोग किया है, जिससे उनके द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हुआ है। हालांकि अभी भी कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं, SCO का मंच दोनों देशों को आपसी सहयोग और सामंजस्य के नए अवसर प्रदान करता है।