Solar panel क्या है? और कोनसे ख़रीदे सारी जानकारी
क्या आप भी नहीं जानते की क्या होते है Solar panels, क्या आप Solar panels के प्रकार को जानना चाहते हो। Solar panels की कीमत जानना चाहते हो और कोनसा आपके लिए सही है ये भी जानना चाहते हो यही नहीं तो Solar panels में क्या होना चाहिए और क्या देखना चाहिए खरीदते समय। तो आज में आपको इसे ही बताने वाला हु।
दोस्तों क्या आपने किसी के घर के ऊपर Solar panels तो देखे ही होंगे अगर नहीं तो में आपको दिखाता हु निचे फोटो में देखिये। कुछ इस तरह के होते है सोलार पेनल्स अब याद आया की देखे है या नहीं।
कुछ लोगो को ये पता ही नहीं होगा की ये क्यों इस तरह से घर के ऊपर छत पर लगाए जाते है आखिर इसका उपयोग छत पर लगाने से क्या होता है। लेकिन इसी कुछ सवाल को आज में आपसे दूर करवाऊंगा। तो चलिए देखते है स्टेप बाय स्टेप क्या है Solar panels |
Solar energy क्या होती है?
दोस्तों Solar panels को समझने से पहले हमें सोलार एनर्जी को समझना जरुरी है। Solar energy को हिंदी में सौर ऊर्जा कहा जाता है आसान भाषा में कहा जाये तो सौर ऊर्जा वो होती है जो sun यानी सूर्य से बनती है। इसका मतलब ये नहीं की हमें सूर्य के पास जाकर सौर ऊर्जा को लेकर आना है यो तो मुमकिन ही नहीं है।
तो फिर सोलर एनर्जी बनती कैसे है दोस्तों इसका आसान सा जवाब है सूर्य की किरणे जी हां जिसे हम अंग्रेजी में sun rays कहते है। सौर ऊर्जा यानी कोई नयी या जटिल चीज़ नहीं है बल्कि सूर्य की किरणों से ही बनती है सोलर एनर्जी।
उदाहरन के लिए बताना चाहूंगा की आपने पढ़ा होगा की जब magnifying glass यानी आवर्धक लेंस जब किसी पतले कागज के ऊपर कुछ देर के लिए आती है तो वो कागज जलने लगता है वो जलने के कारन है सूर्य की किरणे। अब आप समझ गए होंगे सोलर एनर्जी क्या होती है।
Solar panels क्या होते है?
अब सोलर पेनल्स को समझना आसान है क्युकी आपने Solar energy को जान लिया है। आसान शब्दों में कहा जाये तो सोलर पेनल कई सारे photo-voltaic cells से बना पैनल होता है |
जब कई सारे photo-voltaic cells या फिर सोलर cell एक साथ किसी glass के फ्रेम पर लगाए जाते है तो एक सोलर पैनल तैयार होता है। अब इसमें पेनल्स के प्रकार से cells होते है जो हम आगे देखेंगे।
सोलर पैनल में सिर्फ cells ही नहीं होते है बल्कि और कई सारे चीज़े होती है जिससे ये पूरा बनता है। किसी भी एक Solar panel में cells के ऊपर transparent यानी पारदर्शी गिलास चढ़ाई जाती है। पैनल के चारो साइड में aluminium की फ्रेम होती है इसके साथ साथ एक junction box पैनल के पीछे लगाया जाता है जहासे बिजली लिए जाती है। इनके साथ साथ और कोई छोटी छोटी चीज़े होती है जिनसे पूरा सोलर पैनल तैयार होता है।
अब जब पेनल्स को छत पर धुप में लगाया जाता है तब सोलर एनर्जी यानी सूर्य की किरणे इस पैनल पर पड़ती है जिससे photo-voltaic cells बिजली बनाना चालू कर देते है। किसी भी एक photo-voltaic cell में बोहोत ही कम बिजली उत्पन करने की क्षमता होती है इसीलिए इनको कई सारे मात्रा में लगाया जाता है।
जब कई सारे सोलर सेल्स धुप लेते है तो वो बिजली बनाते है जो हम अपने घर में इस्तेमाल कर सकते है या इसे battery में स्टोर करके इस्तेमाल कर सकते है।
हमारे भारत में कई जगह पर रास्तो के lights यानी street lights अब सोलर एनर्जी से ही चलते है ये एक भारत सरकार का अच्छा कदम है और कुछ साल के बाद ये पुरे इंडिया में हो जायेंगे।
भारत में Cochin airport में एक बड़ा सोलर पावर प्लांट है जो लगभग पूरा एयरपोर्ट की बिजली को generate करता है। और इसके कारन Cochin airport को भी अब electricity का बिल बोहोत कम ही भरना पड़ता है। भारत के सारे एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन सोलर पावर प्लांट पर ही चलने लगे तो कितना अच्छा होगा।
Solar panels के प्रकार
Solar panels के प्रकारो के बारे में कहा जाये तो इसके ४ मुख्य प्रकार है।
- Polycrystalline solar पैनल
- Monocrystalline solar पैनल
- Monocrystalline half-cut solar पैनल
- Bifacial solar पैनल
Polycrystalline solar पैनल
Polycrystalline पैनल कुछ दिखने में ऐसा दीखता है।
आपके पास जगह बोहोत है और बजट सही कम है तो आप इस सोलर पैनल को यूज़ कर सकते हो। अगर इसकी efficiency की बात की जाये तो बाकि की तुलना में कम होती है और इसीलिए इसकी कीमत भी बाकि से कम ही होती है।
बाजार में ये आपको १५-२५ रुपये per watt के मिलेंगे और १ kilowatt लेने के लिए ये बाजार में १५०००-२५००० रुपये तक मिल सकते है।
Polycrystalline solar पैनल भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाले पैनल है क्युकी ये सस्ते मिल जाते है।
बस इसका एक ही प्रॉब्लम है और वो है की जब बादल आते है या फिर मौसम ख़राब हो जाता है तो ये काम करना बंद कर देते है। लेकिन भारत में धुप ज्यादा होने के कारन इन्हे सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है।
Monocrystalline solar पैनल
इस प्रकार के सोलर पैनल poly से ज्यादा बेहतर होते है। यानी इनकी efficiency poly से ज्यादा होती है इसीलिए इनकी कीमत भी ज्यादा देखने को मिलती है।
अगर आप बड़ा पावर प्लांट लगाना चाहते हो तो ये आपके लिए बेस्ट है। घर में लगाने के लिए आप Polycrystalline solar को यूज़ कर सकते हो पर किसी बड़े पावर प्लांट के लिए ये सही होगा।
इनके कीमत की बात की जाये तो ये २५-३० per watt में आते है मतलब kilowatt लेने आपको २५००० – ३०००० तक का खर्चा लग सकता है।
ये साइज में बड़े होते है और कम जगह में ज्यादा पावर को generate कर सकते है।
Half-cut solar पैनल
Monocrystalline solar पैनल में ही ये एक प्रकार है half cut सोलर पैनल। इसकी कीमत दोनों से ज्यादा होती है क्युकी इसकी efficiency ज्यादा होती है और इसमें cells भी ज्यादा देखने को मिलते है।
Internal resistance कम होने के कारण इसका resistance कम होता है और इसीलिए ये ज्यादा पावर को generate कर सकते है।
कीमत की बात करे तो mono और half में थोडासा अंतर देखने को मिलता है। इनका structure parallel होता है इसीलिए एक साइड पर shadow यानी साया आने भी ये दूसरी साइड से पावर को generate करता है।
पर अपने भारत में ये कम ही देखने को मिलते है क्युकी भारत में half-cut solar पैनल को बनाने की कंपनी बोहोत कम है।
Bifacial solar पैनल
सबसे अच्छे सोलर पेनल्स यही है क्युकी बाकि की तुलना में इनकी efficiency और cost दोनों भी ज्यादा होते है।
इनका उपयोग कम जगह पर ज्यादा से ज्यादा बिजली generate करने के लिए होता है। ४० – ४५ per watt में आपको ये मिल सकता है पर ज्यादा कीमत होने के कारन इसे भारत में बोहोत ही कम इस्तेमाल किया जाता है। इसके हाई कॉस्ट का कारन है की ये दोनों साइड से एनर्जी को generate करता है।
अपने भारत में इसके manufacturing कंपनी बोहोत ही कम है इसलिए ये कम ही देखने को मिलते है।
सोलर पेनल्स लेते समय ध्यान देने वाली बाते
दोस्तों अभी तो आपने देख लिया की सोलर पेनल्स के प्रकार कोनसे है और उनकी जानकारी भी। अभी में आपको कुछ बाते बताऊंगा जो आपको सोलर पेनल्स खरीदते समय ध्यान रखनी चाहिए।
देखिये दोस्तों अभी हमने जो प्रकार देखे वो सारे प्रकार की एक अपनी अपनी अलग पहचान है तो उसे समझना भी जरुरी है ताकि पेनल्स लेते समय आप बुद्धू न बने।
सबसे पहले तो Polycrystalline सोलर पैनल का कलर यानी रंग नीला [blue] होता है। मतलब इसमें जीतने भी cells होते है वो सारे नीले रंग के होते है।
Monocrystalline सोलर पेनल्स का रंग काला [black] देखने को मिलता है। वही bifacial ये transparent यानी पारदर्शक होते है पर रंग के बारे में कहा जाये तो ये कुछ काले ही दीखते है।
दोस्तों सोलर पेनल्स खरीदते समय उनकी efficiency का सही होना बोहोत जरुरी है। मतलब कुछ कम्पनिया efficiency को लिखती कुछ और है और मापने पर संख्या कुछ और आती है। इसीलिए सोलर पेनल्स खरीदते समय उनकी efficiency को मापना जरुरी है।
किसी भी सोलर पेनल्स की एफ्फिसिन्सी को measure यानी मापने के लिए आपको digital multimeter की जरुरत लगती है। सोलर पैनल खरीदते समय अपने साथ DMM [digital multimeter] साथ ले जाये जिस भी पैनल को आप देख रहे हो उसकी efficiency कंपनी ने कितनी दियी है उसे देखे और फिर DMM से उसका current और voltage की efficiency को नाप ले।
अब अगला आपको चेक करना है की glass कोनसा है सोलर पैनल में cells के ऊपर जो glass होता है वो tempered glass होता है। ये कांच मजबूत और dust विरोधी होता है। कुछ कम्पनिया अपने फायदे के लिए साधा कांच लगाती है जो जल्दी से टूट जाता है।
सही फ्रेम का होना भी बोहोत जरुरी है क्युकी ये दिन रातभर आपके छत पर रहता है जिससे इसपर जंग आता है। पर अगर पैनल को Aluminium की फ्रेम लगायी हुई है तो ये जंग आने को कई साल लगेंगे। इसीलिए फ्रेम aluminium की है या नहीं इसे चेक करले।
उसके बाद आपको चेक करना है junction box, ये box पैनल के पिछले बाजु में लगा रहता है जो छोटा होता है पर मुख्य। क्युकी यही है जो आपके बिजली को पहुचायेगा इसीलिए इसे सही से चेक करे।
Junction बॉक्स दो प्रकार के होते है एक IP६८ और IP६७ इसमेसे IP६८ आपको लेना चाहिए क्युकी ये पूरी तरीकेसे water proof होता है। और IP६८ वाटर रेजिस्टेंस होता है।
अगला आपको चेक करना है इसकी wire, इसकी वायर DC होनी चाहिए। और इसके साथ इसमें MC ४ connecter होना चाहिए जो short circuit से बचाता है।
अगला है सोलर पेनल्स की warranty, ये वारंटी आपको २५ साल तक की मिलती है। इसमें आपको दो प्रकार की वारंटी मिलती है एक manufacturing यानी बनने में कोई गलती दूसरी performance की ये दोनों सोलर कंपनी दे रही है या नहीं इसकी जाँच कर ले।
अब अगला है temperature coefficient, ये एक रेंज होती है जिसमे आपका सोलर पैनल काम करता है या ख़राब नहीं होता है। ये सामान्य range १० – ५० degree Celsius तक होती है।
और ये आखरी है पर important है की warranty जो होगी ये कोण देगी कंपनी या dealer ये भी लेते समय ध्यान रखे।
निष्कर्ष
तो दोस्तों आपने देखा की सोलर पैनल क्या है, सोलर एनर्जी, सोलर पेनल्स के प्रकार कोनसे है और सोलर पेनल्स को लेते समय ध्यान रखने वाली बाते। आशा करता हु आपको समझ आये होंगे कोई समस्या है तो आप मुझे कमैंट्स में पूछ सकते हो।
सर, आपका आर्टिकल बहुत ही अच्छा है, धन्यवाद। लेकिन आप अपनी वेबसाईट को थोड़ा ध्यान दें स्लो बहुत हो गई है, ओपन नहीं हो रही है जल्दी
आपके फीडबैक के लिए धन्यवाद निशांत । बहुत अच्छा लगता है जब कोई फीडबैक देता हैं।